भारत में Electronics & Electric Vehicles (EVs) के लिए प्रोत्साहन
About Incentives for Electronics and Electric Vehicles (EVs)
सस्टेनेबिलिटी और तकनीकी नवाचार पर बढ़ते जोर के साथ, भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू की हैं। इन प्रोत्साहनों का उद्देश्य घरेलू निर्माण को प्रोत्साहित करना, आयात पर निर्भरता कम करना और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों की ओर संक्रमण को तेज करना है। यह लेख इन उद्योगों का समर्थन करने वाली विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहनों, कर लाभों और नीति रूपरेखाओं का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और EVs के लिए प्रोत्साहन क्यों महत्वपूर्ण हैं?
इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग पर्यावरणीय चिंताओं और ऊर्जा-कुशल परिवहन की आवश्यकता के कारण तेजी से बढ़ी है। सरकारी समर्थन कंपनियों को स्थानीय विनिर्माण और अनुसंधान में निवेश करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे भारत को प्रौद्योगिकी-संचालित उद्योगों के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलती है।
उपलब्ध प्रमुख प्रोत्साहन
1. उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना
- इलेक्ट्रॉनिक्स और EV घटकों के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई।
- उत्पादन में वृद्धि के आधार पर वित्तीय लाभ प्रदान करता है।
- भारतीय बाजार में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करता है।
2. फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) योजना
- इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और चारपहिया वाहनों के लिए सब्सिडी प्रदान करता है।
- EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना का समर्थन करता है।
- वाहन उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने का लक्ष्य रखता है।
3. कर लाभ और कस्टम ड्यूटी छूट
- EVs पर कम जीएसटी दर (5% जबकि पारंपरिक वाहनों पर 28%)।
- EV खरीदने के लिए लिए गए ऋण पर ब्याज में कर कटौती।
- आवश्यक EV घटकों पर आयात शुल्क में कमी।
4. राज्य-विशिष्ट प्रोत्साहन
- कई भारतीय राज्य EV अपनाने के लिए अतिरिक्त सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।
- EV खरीदारों के लिए रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क से छूट।
- स्थानीय विनिर्माण इकाइयों और अनुसंधान एवं विकास केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने वाली नीतियाँ।
5. अनुसंधान एवं विकास (R&D) अनुदान
- बैटरी प्रौद्योगिकी और अर्धचालक निर्माण में नवाचार के लिए वित्तीय सहायता।
- प्रौद्योगिकी विकास में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहन।
6. विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) और आधारभूत संरचना समर्थन
- EV और इलेक्ट्रॉनिक्स कारखानों की स्थापना करने वाली कंपनियों के लिए भूमि और बिजली पर सब्सिडी।
- विशेष EV पार्क और उच्च-तकनीकी निर्माण क्लस्टरों का विकास।
इन प्रोत्साहनों का प्रभाव
- आर्थिक वृद्धि: घरेलू निर्माण क्षमताओं को बढ़ाता है और आयात पर निर्भरता कम करता है।
- पर्यावरणीय लाभ: स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को अपनाने को प्रोत्साहित करता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
- रोजगार सृजन: उच्च-तकनीकी और स्थायी उद्योगों में रोजगार के अवसरों का विस्तार करता है।
- प्रौद्योगिकी उन्नति: इलेक्ट्रॉनिक्स और EV क्षेत्रों में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करता है।
At Last What We Say!
इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सरकारी प्रोत्साहन भारत में एक आत्मनिर्भर और सतत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए आवश्यक हैं। ये नीतियाँ न केवल आर्थिक प्रगति को गति देती हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी समर्थन करती हैं। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी विकसित होती है, इन नीतियों और प्रोत्साहनों में निरंतर सुधार आवश्यक होगा ताकि भारत इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी विकास यात्रा को बनाए रख सके।