प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): जल संसाधन प्रबंधन और कृषि उत्पादकता में संरचनात्मक सुधार
About Pradhanmantri Krishi Sinchayee Yojana 2025
Pradhanmantri Krishi Sinchayee Yojana 2025 (PMKSY) भारत सरकार द्वारा 2015 में शुरू की गई एक रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में जल संसाधन प्रबंधन को अधिक कुशल और टिकाऊ बनाना है। यह योजना जल संरक्षण, सिंचाई नेटवर्क के विस्तार और जल उपयोग दक्षता में सुधार के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाती है। इस लेख में, हम PMKSY के प्रमुख घटकों, कार्यान्वयन प्रक्रियाओं, प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
1. PMKSY की अवधारणा और उद्देश्य
PMKSY की परिकल्पना "हर खेत को पानी" और "प्रति बूंद अधिक फसल" के सिद्धांतों पर आधारित है। इसका मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना और जल-आधारित कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है।
PMKSY के प्रमुख घटक
- **सिंचाई अवसंरचना का विकास:** नई सिंचाई परियोजनाओं की स्थापना द्वारा जल उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- **जल प्रबंधन रणनीतियाँ:** ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी माइक्रो-इरिगेशन तकनीकों को बढ़ावा देना।
- **स्थानीय जल संसाधनों का सुदृढ़ीकरण:** जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन और भूजल पुनर्भरण को सशक्त बनाना।
- **संस्थागत क्षमताओं का विस्तार:** किसानों को तकनीकी सहायता और वित्तीय अनुदान प्रदान करना।
2. PMKSY की कार्यान्वयन संरचना
PMKSY के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए इसे चार प्रमुख घटकों में विभाजित किया गया है:
1- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP)
- लंबित सिंचाई परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता।
- बड़ी और मध्यम स्तर की सिंचाई परियोजनाओं के लिए समर्पित अनुदान।
2- जलग्रहण विकास घटक (WDC):**
- जलग्रहण क्षेत्र में भूमि उपचार, पुनर्भरण संरचनाओं और सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं का क्रियान्वयन।
- पारंपरिक जल स्रोतों की पुनर्स्थापना और भूजल स्तर में सुधार।
3- प्रति बूंद अधिक फसल (PMKSY-Per Drop More Crop):**
- जल उपयोग दक्षता को अनुकूलित करने के लिए वैज्ञानिक विधियों को प्रोत्साहित करना।
- सतही और भूमिगत जल संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देना।
4- हर खेत को पानी
- उन क्षेत्रों में सिंचाई नेटवर्क का विस्तार करना जहां जल संसाधन सीमित हैं।
- किसानों को आधुनिक सिंचाई उपकरणों के लिए सब्सिडी और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
3. PMKSY के आर्थिक और पारिस्थितिकीय प्रभाव
PMKSY का क्रियान्वयन कृषि क्षेत्र में संरचनात्मक बदलाव लाने में सहायक सिद्ध हुआ है। इसके प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- **कृषि उत्पादकता में वृद्धि:** जल की उपलब्धता में सुधार से फसल पैदावार बढ़ी।
- **जल संरक्षण:** पारंपरिक जलग्रहण प्रणालियों के पुनरोद्धार से जल संरक्षण में बढ़ोतरी।
- **आर्थिक सशक्तिकरण:** सिंचाई सुविधा बढ़ने से किसानों की आय में वृद्धि।
- **पर्यावरणीय सुधार:** जल संसाधनों का टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित कर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा गया।
4. PMKSY के तहत सफल परियोजनाएँ
PMKSY के तहत कई प्रभावी जल प्रबंधन परियोजनाएँ लागू की गई हैं। इनमें प्रमुख उदाहरण हैं:
- **महाराष्ट्र – जलयुक्त शिवार अभियान:** जलग्रहण पुनर्भरण संरचनाओं द्वारा सिंचाई सुविधाओं में सुधार।
- **राजस्थान – इंदिरा गांधी नहर प्रणाली:** रेगिस्तानी क्षेत्रों में कृषि को सक्षम बनाने हेतु जल आपूर्ति का विस्तार।
- **गुजरात – सुजलाम सुफलाम योजना:** सतही जल भंडारण और भूजल पुनर्भरण परियोजनाएँ।
5. PMKSY में आवेदन प्रक्रिया और पात्रता
PMKSY का लाभ उठाने के लिए किसानों को निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होता है:
1. **आधिकारिक पोर्टल ([pmksy.gov.in](https://pmksy.gov.in)) पर पंजीकरण।**
2. **योजना की पात्रता मानदंडों की समीक्षा और उपयुक्त श्रेणी का चयन।**
3. **ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करना और आवश्यक दस्तावेज संलग्न करना।**
4. **राज्य या जिला कृषि विभाग से संपर्क कर अनुदान प्रक्रिया को पूरा करना।**
5. **सत्यापन और स्वीकृति के बाद तकनीकी सहायता और सब्सिडी का लाभ उठाना।**
6. PMKSY की भावी रणनीतियाँ और विकास संभावनाएँ
PMKSY के सतत विकास हेतु सरकार निम्नलिखित उपायों पर बल दे रही है:
- **स्मार्ट सिंचाई तकनीकों का समावेश:** जल उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए सेंसर आधारित सिंचाई प्रणाली का विकास।
- **डिजिटल निगरानी प्रणाली:** जल संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग हेतु डेटा एनालिटिक्स और रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग।
- **सतत कृषि पद्धतियों का संवर्धन:** जैविक खेती और जल-संवेदनशील फसलों को बढ़ावा देना।
PMKSY केवल सिंचाई अवसंरचना का विकास नहीं कर रहा, बल्कि यह कृषि को जलवायु अनुकूल और सतत विकास की दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
At Last We Say!
Pradhanmantri Krishi Sinchayee Yojana 2025 (PMKSY) एक समेकित और प्रभावी नीति है, जो जल संसाधन प्रबंधन में नवीनतम तकनीकों को अपनाकर कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देती है। यह योजना किसानों की आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने और पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।